झूठ आती है शाम रातों का राजा हुं मैं - The Indic Lyrics Database

झूठ आती है शाम रातों का राजा हुं मैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - रातों का राजा | वर्ष - 1970

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मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैंमहफ़िल सजे डोलूँ जिधर से
साक़ी बहके मेरी नज़र से
चाहूँ तो अभी खुद चल के आए जाम
रातों का राजा ...खिड़की खुले मुझे बुलाए
महलों में है मेरे ही साए
सोते-जागते सब जानें मेरा नाम
रातों का राजा ...मैनें जवाँ होंठों की लाली
अकसर पलकों से ही चुरा ली
सारे गुलबदन मुझे करते हैं सलाम
धरती से सितारों तक ...