अँखियों का नूर है तू - The Indic Lyrics Database

अँखियों का नूर है तू

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मुकेश, सुमन | संगीत - कल्याणजी-आनंदजी | फ़िल्म - जौहर महमूद इन गोवा | वर्ष - 1965

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अँखियों का नूर है तू अँखियों से दूर है तू
फिर भी पुकारे चले जाएंगे तू आए न आए
फिर भी पुकारे ...
दिल में पयाम तेरा लब पे है नाम तेरा
हो के दिवाने तेरे प्यार में लो आए जी आए
हो के दिवाने ...
ओ मेरे हमराज़ कहां है मुझको दे आवाज़ कहां है
प्यार की आँखों से तुम देखो इश्क़ वहीं है प्यार जहां है
छुप छुप के आने वाले दिल को जलाने वाले
चुपके से आजा मेरे सामने
तू आजा रे आजा चुपके से आजा मेरे सामने
अँखियों का नूर ...
इसलिए आया हूँ मैं छुप के देख के हमको दुनिया जले ना
प्यार की महफ़िल कितनी अनोखी नूर है लेकिन दीप जले ना
यादों के दाग़ ले के दिल के चराग़ ले के
कबसे खड़ा हूँ तेरे सामने
तू माने न माने कबसे खड़ा हूँ तेरे सामने
अँखियों का नूर ...