प्रेम का है इस जग में पंथ निराला - The Indic Lyrics Database

प्रेम का है इस जग में पंथ निराला

गीतकार - | गायक - के एल सहगल | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - प्रेसीडेंट | वर्ष - 1937

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प्रेम का है इस जग में पंथ निराला
प्रेम तो है इस दुनिया में कारण दुःख का
प्रेमी को होता है अनुभव सुख का
शीतल पवन है उसको प्रेम की ज्वाला (२)
प्रेम का है इस जग में पंथ निरालाप्रेम जपन की जग में रीत है न्यारी
असुवन के मनकों पर प्रेम पुजारी
रो-रो कर जपता है प्रेम की माला (२)
प्रेम का है इस जग में पंथ निरालापागल प्रेमी अब तू क्यों रोता है, प्रेम का तो ऐसा ही फल होता है (२)
पहले काहे न तूने देखा-भाला (३)