तिर पे तिर खाये जा ज़ुल्म ओ सीतम उठाये जा - The Indic Lyrics Database

तिर पे तिर खाये जा ज़ुल्म ओ सीतम उठाये जा

गीतकार - खुमार बाराबंकवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सज्जाद | फ़िल्म - रूप लेख | वर्ष - 1949

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( तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जा ) -२ख़ुशी ग़मों के अन्धेरे को जगमगाती है
ख़िज़ाँ के बाद हमेशा बहार आती है
( प्यार के दिन भी आयेंगे
हिज़्र के दिन बिताये जा ) -२तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जान छोड़ सब्र का दामन कोई ये कह न सके
के चार दिन भी मोहब्बत में रंज सह न सके
( झेल ख़ुशी से हर सितम
लब पे हँसी बसाये जा ) -२तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जा