मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे - The Indic Lyrics Database

मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे

गीतकार - संतोष आनंद | गायक - लता मंगेशकर - सुरेश वाडकर | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - प्यासा सावन | वर्ष - 1981

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मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे
कहाँ से तू आया, कहाँ जायेगा तू
के दिल की अगन से पिघल जायेगा तू
धुआं बन गयी है खयालों की महफ़िल
मेरे प्यार की जाने कहाँ होगी मंज़िल
मेघा रे मेघा रे, मेरे गम की तू दवा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे
बरसने लगीं हैं बूँदें, तरसने लगा है मन
ज़रा कोई बिजली चमकी, लरजने लगा है मन
और ना डरा तू मुझको ओ काले काले घन
मेरे तन को छू रही है, प्रीत की पहली की पवन
मेघा रे मेघा रे, मेरी सुन ले तू सदा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे
मन का मयूरा आज मगन हो रहा है
मुझे आज ये क्या सजन हो रहा है
उमंगों का सागर उमड़ने लगा है
बाबुल का आँगन बिछड़ने लगा है
न जाने कहाँ से हवा आ रही है
उड़ा के ये हमको लिये जा रही है
ये रुत भीगी भीगी भिगोने लगी है
के मीठे से नश्तर चुभोने लगी है
चलो और दुनिया बसायेंगे हम तुम
ये जन्मों का नाता निभायेंगे हम तुम
मेघा रे मेघा रे, दे तू हमको दुआ रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे