दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल-ए-बहार क्या - The Indic Lyrics Database

दिल ही बुझा हुआ हो तो फ़स्ल-ए-बहार क्या

गीतकार - नीलकंठ तिवारी | गायक - मुकेश | संगीत - NA | फ़िल्म - निर्दोष | वर्ष - 1941

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दिल को लगाके हमने, कुछ भी ना पाया

दिल को लगाके हमने, कुछ भी ना पाया

चैन गवाया

ग़म का फ़साना क्या सुनायें,

कह ना पायें

हाँ हाँ

ग़म का पायें

ये भी ना सोचा हाय भूल के

जिस बेवफ़ा को अपना बनाया, है वो पराया

दिल को लगाके गवाया

आँखों से दिल खाये धोखे चुप रोके

ओ दुनिया बसी ना हाय प्यार की

कैसे बिताये, रोग लगाया, जी को जलाया

दिल को गवाया

दे के सहारा मुझको झूटा, तुमने लूटा

भूली कहानी है छेड़ दी

तेराअ फ़साना याद ना आया, हँसके रुलाया

दिल को गवाया