मेघा छाये आधी रात, बैरन बन गयी निंदिया - The Indic Lyrics Database

मेघा छाये आधी रात, बैरन बन गयी निंदिया

गीतकार - नीरज | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - शर्मीली | वर्ष - 1971

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मेघा छाए आधी रात
बैरन बन गई निंदिया
बता दे मैं क्या करूँ ?
सब के आँगन दिया जले रे, मोरे आँगन जिया
हवा लागे शूल जैसी, ताना मारे चुनरीयां
आई है आँसू की बारात
रूठ गये रे सपने सारे, टूट गई रे आशा
नैन बहे रे गंगा मोरे, फिर भी मन है प्यासा
किसे कहूँ रे मन की बात