चली राधे रानी, अँखियों में पानी - The Indic Lyrics Database

चली राधे रानी, अँखियों में पानी

गीतकार - भरत व्यास | गायक - मन्ना डे | संगीत - अरुण कुमार | फ़िल्म - परिणीता | वर्ष - 1953

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चली राधे रानी, अँखियों में पानी-2
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के-2
चली राधे रानी, अँखियों में पानी
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
मान भरी, अभिमान भरी-2
निर्मोही से, निर्मोही से नाता तोड़के
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
चली राधे रानी

ओ ओ, जमुना के तट पे, बंसी के बट पे
नटखट ने उसको घेर लिया
देखो नटखट ने उसको घेर लिया
घूँघट के पट से झाँक के झटपट
राधा ने भी मुँह फेर लिया
देखो राधा ने भी मुँह फेर लिया
बातों ही बातों में झगड़ा भया ऐसा-2
बाँहों के बंधन तोड़के
हो चली बाँहों के बंधन तोड़के
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
(चली राधे रानी, अँखियों में पानी
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
चली राधे रानी)-2

छलिया मोहन, राधे भोली-2
साँवरिया ने की जो छिछोली-2
साँवरिया साँवरिया, साँवरिया ने की जो छिछोली
न कुछ डोली, न कुछ बोली
राधे न कुछ डोली, न कुछ बोली
न ही दो अँखियाँ खोली-2
लाख मनाये गोरी, माने न माने,
मधुबन की गलियाँ छोड़के
हो, मधुबन की गलियाँ छोड़के
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
(चली राधे रानी, अँखियों में पानी
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के
चली राधे रानी)-2

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(
चली राधे रानी, अँखियों में पानी-2
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के-2

छोड़ के बचपन की रंगरलियाँ
छोड़ के गोकुल की कुँज गलियाँ
छोड़ के मोहन की मीठी मुरलिया
नैनन का नाता तोड़ के
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के...

दिन ढला हुई संध्या की बेला
बन्द हुआ देखो मधुबन का मेला
राधा अकेली मोहन अकेला
खेल विधाता ने कैसे खेला
बिरहा का ये तीर छोड़ के
अपने मोहन से मुखड़ा मोड़के...$