चांद फिर निकला, मगर तुम ना आये - The Indic Lyrics Database

चांद फिर निकला, मगर तुम ना आये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - पेइंग अतिथि | वर्ष - 1957

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चांद फिर निकला मगर तुम ना आये
जला फिर मेरा दिल, करूँ क्या मैं हाय
ये रात कहती है वो दिन गये तेरे
ये जानता है दिल के तुम नहीं मेरे
खड़ी हूँ मैं फिर भी निगाहें बिछाये
मैं क्या करूँ हाय की तुम याद आये
सुलगते सीने से धुआँ सा उठता है
लो अब चले आओ के दम घुटता है
जला गये तन को बहारों के साये
मैं क्या करूँ हाय की तुम याद आये