क्या पता - The Indic Lyrics Database

क्या पता

गीतकार - गुलज़ार | गायक - अरिजीत सिंग | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - दृश्यम | वर्ष - 2015

Song link

View in Roman

ख़ामोश रहने में दम घुटता है   
और बोलने से ज़बां छीलती है 
डर लगता है नंगे पाऊँ मुझे 
कोई कब्र पाऊं तले हिलती है 
परेशान हूँ ज़िन्दगी से 

क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
बस के मैं, ज़िन्दगी से डरता हूँ 
बस के मैं, ज़िन्दगी से डरता हूँ 
मौत का क्या है, एक बार मारेगी 

धूल उड़ने लगती है जब शाम की 
सब कांच भर जाते हैं गर्द से 
मैं डरता हूँ, मैं डरता हूँ 
दिल जब धड़कने से थकने लगे 
नींद आने लगती है तब दर्द से 
अनजान हूँ ज़िन्दगी से 

क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
क्या पता कब कहाँ से मारेगी ज़िन्दगी 
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ 
बस के मैं ज़िन्दगी से डरता हूँ 
मौत का क्या है 
एक बार मारेगी