ऐ जान-ए-जां चली कहाँ - The Indic Lyrics Database

ऐ जान-ए-जां चली कहाँ

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - आशा भोसले - मोहम्मद रफी | संगीत - सपन जगमोहन | फ़िल्म - गुस्ताखी माफ़ | वर्ष - 1969

View in Roman

ऐ जान-ए-जां चली कहाँ
ख़फ़ा ख़फ़ा जुदा जुदा
ये बेरुखी है कैसी
नाराज़गी है कैसी
जाओ हटो लो रास्ता
हमसे तुम्हें क्या वास्ता
ये दिल्लगी है कैसी दीवानगी है कैसी
हाए ये फूल सी रंगीन जवानी तौबा
चाल है या किसी दरिया की रवानी तौबा
शोख आँचल का ये सीने से ढलकना तौबा
मस्त आँखों से ये मस्ती का छलकना तौबा
कैसा ये हमको दीवाना मिल गया
शायरी कर के मोहब्बत का जताना छोड़ो
हम समझते हैं तुम्हें हमको बनाना छोडो
किसलिए तुम ना सर-ए-राह पुकारो हमको
बात करना भी नहीं तुमसे गंवारा हमको
ऐसी भी हमसे क्या हो गई ख़ता
दिल मेरा छीन के नज़रें ना चुराओ ऐसे
हमसे गुस्ताख़ निगाहें ना मिलाओ ऐसे
कब तुम्हें मेरी मोहब्बत का यकीं आएगा
ऐसा लगता है के वो दिन तो नहीं आएगा
बाहों में आओ अब छोडो ये अदा