कौन जीवान में मेरे समाये जा रह हैं - The Indic Lyrics Database

कौन जीवान में मेरे समाये जा रह हैं

गीतकार - रमेश गुप्ता? | गायक - जोहराबाई अंबलेवाली | संगीत - गोविंद राम | फ़िल्म - हमारा संसार | वर्ष - 1945

View in Roman

कौन जीवन में मेरे समाये जा रहा है -२
कौन मन पे मेरे छाये जा रहा है
कौन जीवन में मेरे समाये जा रहा हैकौन बरखा की काली-काली रात में -२
बन के साया चल रहा है साथ में -२
कौन दीपक बन के राह दिखला रहा है
कौन जीवन में मेरे समाये जा रहा है -२कोई साथी न था कोई मीत ना था -२
मेरे सूनी वीना में कोई गीत ना था -२
कौन मीठे सुरों से ये गाये जा रहा है -२
कौन मन को मेरे लुभाये जा रहा है -२कौन जीवन में मेरे समाये जा रहा है -२