तेरी मुहब्बत पे ना आदमी का कोई भरोसा - The Indic Lyrics Database

तेरी मुहब्बत पे ना आदमी का कोई भरोसा

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आदमी | वर्ष - 1968

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तेरी मुहब्बत पे शक़ नहीं है, तेरी वफाओं को मानता हूं
मगर तुझे किसकी आरजू है, मैं ये हकीकत भी जानता हूंन आदमी का कोई भरोसा, न दोस्ती का कोई ठिकाना
वफा का बदला है बेवफाई अजब जमाना है ये जमाना
न आदमी का कोई....न हुस्न मेइं अब वोओ दिल्कशी है, न इश्क मेइं अब वोओ जिन्दगी है
जिधर निगाहेइं उठाके देखो, सितम है धोखा है बेरुखी है
बदल गये जिन्दगी के नग़मे, बिखर गया प्यार का तराना
न आदमी का कोई....दवा के बदले मेइं जहर दे दो उतार दो मेरे दिल मेइं खंजर
लहू से सींचा था जिस चमन को, उगे हैं शोओले उसी के अंदर
मेरे ही घर के चिराग ने खुद, जला दिया मेरा आशियाना
न आदमी का कोई....