गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - धुंद | वर्ष - 1973
View in Romanउलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ मैं जाऊँ कहाँ?
मेरे दिल का अँधेरा हुआ और घनेरा
कुछ समझ न पाऊँ क्या होना है मेरा
खड़ी दोराहे पर ये पूछूँ घबराकर
जाऊँ कहाँ मैं जाऊँ कहाँ?
जो साँस भी आए, तन चीर के जाए
इस हाल से कोई किस तरह से निभाए
न मरना रास आया
न जीना मन भाया
जाऊँ कहाँ मैं जाऊँ कहाँ?
रुत ग़म की टले ना, कोई आस फल ना
तक़दीर के आगे मेरी पेश चले ना
बहुत की तदबीरें, न टूटी ज़ंजीरें
जाऊँ कहाँ मैं जाऊँ कहाँ?