मतलबी हैं लोग यहाँ पर - The Indic Lyrics Database

मतलबी हैं लोग यहाँ पर

गीतकार - अंजान | गायक - किशोर कुमार | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - बेगाना | वर्ष - 1986

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नादां नासमझ पागल दीवाना
सबको अपना माना तूने मगर ये ना जाना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर
मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा
निकला वो बेगाना
अपनों में मैं बेगाना
ख़ुशियाँ चुराके गुज़रे वो दिन
काँटे चुभा के बिछड़े वो दिन
आँखों से आंसू बहने लगे
बहते ये आंसू कहने लगे
ये क्या हुआ, ये क्यों हुआ, कैसे हुआ मैंने न जाना
ज़िन्दा हैं लाशें, मुर्दा ज़मीं है
जीने के क़ाबिल दुनिया नहीं है
दुनिया को ठोकर क्यों न लगा दूँ
ख़ुद अपनी हस्ती क्यों ना मिटा दूँ
जी के यहाँ जी भर गया
दिल अब तो मरने का ढूंढे बहाना
मर के जिए हम जिसके लिए
दिन-रात आंसू हँसके पिए
इल्ज़ाम उसने क्या-क्या दिए
कहते भी क्या हम चुप रह गए
रिश्ते अगर हैं रिश्ते यही तो
फिर क्या किसी से रिश्ता निभाना
नज़रों से मेरी देखे कोई
दुनिया ये क्या थी क्या हो गई
बेगाने अपने क्यों हो गए
दिल तो वही है चेहरे नए
जीना है तो सीखो यहाँ
चेहरे पे यूँ चेहरा लगाना