कब तक निरास की - The Indic Lyrics Database

कब तक निरास की

गीतकार - NA | गायक - पंकज मलिक | संगीत - पंकज मलिक | फ़िल्म - डॉक्टर | वर्ष - 1941

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कहीं का दीपक, कहीं की बाती

कहीं का दीपक, कहीं की बाती

आज बने हैं जीवनसाथी

देख हँसा है चाँद, मुसाफ़िर

देख चाँद की ओर

देख घटा घनघोर

मुसाफ़िर, देख घटा घनघोर

चाँद के मुख पर घुँघट डाले, खेल रही जो खेल

छिपा लिया आँचल में मुखड़ा, देख घटा का खेल

खेल खेल में देख मुसाफ़िर, बंधी प्रीत की डोर

देख चाँद की ओर

देख लहर की ओर

मुसाफ़िर, देख लहर की ओर

तड़प उठी जो देख चाँद को, छिपा न पायी प्रीत

मिलन हुआ चंदा लहरों का, गूंज उठा संगीत

झूम उठे हैं देख मुसाफ़िर, चंदा और चकोर

देख चाँद की ओर