अजब तोरी दुनिया हे मोरे रामा - The Indic Lyrics Database

अजब तोरी दुनिया हे मोरे रामा

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - दो बीघा ज़मीन | वर्ष - 1953

View in Roman

अजब तोरी दुनिया हे मोरे रामा -२
क़दम-क़दम देखी भूल-भुलैयां
गज़ब तोरी दुनिया हो मोरे रामा -२कोई कहे जग झूठा सपना पानी की बुलबुलिया -२
हर किताब में अलग-अलग है इस दुनिया का हुलिया
सच मानो या इसको झूठी मानो
बेढब तोरी दुनिया हो मोरे रामापरबत काटे सागर पाटे महल बनाए हमने
पत्थर पे बगिया लहराई फूल खिलाए हमने
हो के हमारी हुई न हमारी
अलग तोरी दुनिया हो मोरे रामादया धरम सब-कुछ बिकता है लोग लगाएँ बोली
मुश्किल है हम जैसों की खाली है जिनकी झोली
जब तेरे बन्दों की जान बिके ना
है तब तोरी दुनिया हो मोरे रामाअजब तोरी दुनिया ...