तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी - The Indic Lyrics Database

तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - सुमन कल्याणपुर - मोहम्मद रफी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - न्यू यॉर्क | वर्ष - 2009

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तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
तुमसे ओ दीवाने कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
आग सुलग गई नस-नस में
नींद रही न रहा चैन बस में
तोड़ी जाए ना अब मुझसे
प्यार की ये रस्में कस्में
आ गई बुलबुल क़फ़स में
तौबा मेरी तौबा ये अपनी हालत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
लोग ये मुझको समझाते
बीत रही थी हँसते गाते
मैंने तुम्हें किसलिए छेड़ा
राहों में आते जाते
मुझे सब हैं सताते
तौबा मेरी तौबा कि ये शरारत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
शाम सवेरे दिल घबराए
राज़-ए-दिल न खुल जाए
रात हमाते सपनों में छुपके
रोज़ कोई आए जाए
काहे नेहा लगाए
तौबा मेरी तौबा कि ये क़यामत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया