प्रीतम ये मत जानियो - The Indic Lyrics Database

प्रीतम ये मत जानियो

गीतकार - मजरूह | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - दो गुंडे | वर्ष - 1959

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प्रीतम ये मत जानियो तोसे बिछुड़त मोहे चैन
जैसे बन की लाकड़ी सुलगत हूँ दिन-रैन
भीगी पलकें उठा मेरी जाँ ग़म ना कर
दिन जुदाई के ये भी गुज़र जाएँगे
जब तलक़ तेरी बाँहें मिलेंगी मुझे
तब तलक़ ये गेसू बिखर जाएँगे
भीगी पलकें उठा
मेरे तन की कली ग़म से जल गाएगी
रंग उतर जाएगा धूप ढल जाएगी
आ पड़ी है कुछ ऐसी उलझन मगर
फिर भी तेरे दीवाने किधर जाएँगे
जब तलक़ तेरी बाँहें
ज़िन्दगी है तो मिल ही रहेंगे गले
जा रही हैं बहारें तो जाने भी दो
दो ही दिन तो मिले ज़िन्दगानी के दिन
क्या ये दो दिन भी यूँ ही गुज़र जाएँगे
भीगी पलकें उठा