जहाँ तलक भी ये सहारा दिखाई देता हैं - The Indic Lyrics Database

जहाँ तलक भी ये सहारा दिखाई देता हैं

गीतकार - शाकेब जलाली | गायक - गुलाम अली | संगीत - रफीक हुसैन | फ़िल्म - सादगी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1997

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जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है
मेरी ही तरह से अकेला दिखाई देता हैन इतनी तेज़ चले सरफिरी हवा से कहो
शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता हैये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसे
तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता हैवो अलविदा का मंज़र वो छलकती पलकें
पस-ए-ग़ुबार भी क्या क्या दिखाई देता है