प्रीत के बंधन में - The Indic Lyrics Database

प्रीत के बंधन में

गीतकार - भरत व्यास | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - एस एन त्रिपाठी | फ़िल्म - कवि कालिदास | वर्ष - 1959

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उन पर कौन करे जी विशवास
उन पर कौन करे जी विशवास
किए भंवरो का भेस
फिर कलियो के देस
करे रसिया जो घर घर विलास
उन पर कौन करे
उन पर कौन करे जी विशवास
उन पर कौन करे जी विशवास
ो ये तो जग जग की है प्यास
ो ये तो जग जग की है प्यास
जिसे भँवरा बुझाए
काली काली पास आए
करे पूरी अधूरी जो आस
ो ये तो जग जग की है प्यास
ो ये तो जग जग की है प्यास

रास के लोभी चैन न पाएं
उलटे अपनी प्यास बाधाएँ
रास के लोभी चैन न पाएं
उलटे अपनी प्यास बाधाएँ
एक प्याली से जो प्रीत
एक प्याली से जो प्रीत
लगाएं जनम जनम
की प्यास बुझाएं

जैसे धरती और आकाश
ो जैसे धरती और आकाश
जब दोनों मिले तो सारी सृष्टि हिले
छाए पतझड़ में भी मधुमास
उन पर कौन करे जी विशवास
उन पर कौन करे जी विशवास

सूरज है एक उसकी किरणे हज़ार है
सर्जन हारा है उसे
कण कण से प्यार है
बड़हन में प्रीत के
कब वो लाचार है
वो कमलिनी के मन
का सिंगार है करे घर
घर में वो प्रकाश
वो कमलिनी के मन
का सिंगार है करे
घर घर में वो प्रकाश
करे घर घर में वो प्रकाश
उसका ह्रदय विशाल
उसमे नवयुग की ज्वाल
नव जीवन भरी उसकी श्वास
ो ये तो जग जग की है प्यास
ो ये तो जग जग की है प्यास.