अभी कमसिन हो, नादां हो, जान-ए-जानां - The Indic Lyrics Database

अभी कमसिन हो, नादां हो, जान-ए-जानां

गीतकार - असद भोपाली | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - आया तूफ़ान | वर्ष - 1964

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बुरा ना मानो सनम
अपना दिल हमें दे दो
हमारी बात रखो
हमें भी साथ रखो
तुम्हें हमारी क़सम
अपना दिल हमें दे दो
अभी कमसिन हो, नादां हो, जान-ए-जानां
क्या करोगी मेरा दिल
तोड़ दोगी मेरा दिल
पहले सीखो दिल लगाना

बहुत हसीन हो ठहरो शबाब आने दो
शरीर आँखों में शर्म-ओ-हिज़ाब आने दो
तुम्हारे सामने फिर बेशुमार दिल होंगे
जहाँ भी जाओगी सदके हज़ार दिल होंगे
आनेवाला है अब ऐसा क़ातिल ज़माना
गुनाह ठहरेगा सबसे नज़र मिलाना भी
बनेगा जुर्म किसी दिन ये मुस्कुराना भी
कभी जो दिल की कसक दर्द बन के उभरेगी
तड़प तड़प के शब-ए-इंतज़ार गुज़रेगी
कोई पूछेगा जब क्या करोगी बहाना