गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - अभिजीत | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - दिल्लगी | वर्ष - 1999
View in Romanसपनों के देस में पलकों की छांव में
प्यार के नाम का वो जो इक मोड़ है
हां उसी मोड़ पर मैने देखा तुम्हें
तो मुझको लगा
तुम तो खिलती कली तुम हो चंचल किरन
छलकी छलकी नदी महका महका चमन
तुमसे है ताज़गी तुमसे है ज़िंदगी
तो मैने कहा
हां हां ये प्यार है
और अब तो खुलके मुझको इकरार है
मैं दीवाना हूं मुझे प्यार है
सुन ले दिलरुबामैं तो हैरान हूं क्या कहूं क्या करूं
ज़ुल्फ़ या रात है चेहरा या चाँदनी
होंठ या फूल हैं बात या रागिनी
किसे है पता
ऐ हसीं ऐ हसीं दिलरुबा दिलनशीं
मेरे दिल में है क्या तुम नहीं जानतीं
कबसे ख़ामोश हूं सोचता हूं कहूं
जो ना कह सक
हां हां ये प्यार है ...