देके मुझे वो दर्द-ए-जिगर भूल गये क्या, भूल गये - The Indic Lyrics Database

देके मुझे वो दर्द-ए-जिगर भूल गये क्या, भूल गये

गीतकार - रज़ी-उद-दीन बनारसी | गायक - नूरजहां | संगीत - जफर खुर्शीद | फ़िल्म - दिल | वर्ष - 1946

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दिल आने के

दिल आने के

हो दिल आने के ढंग निराले हैं

दिल आने के ढंग निराले हैं

दिल से मजबूर सब दिलवाले हैं

आ आ आ

दिल से मजबूर सब दिलवाले हैं

दिल आने के

हो दिल आने के ढंग निराले हैं

कभी अँखियाँ मिलाने से आता है दिल

कभी अँखियाँ बचाने से आता है दिल

वो ही अँखियाँ जिन्हें हम से मतलब नहीं

उन्हीं अँखियों के हम मतवाले हैं

आ आ आ

उन्हीं अँखियों के हम मतवाले हैं

दिल आने के

हो दिल आने के ढंग निराले हैं

प्यारी सूरत का गर सामना हो गया

हम पे लाखों अदाओं ने हमला किया

बड़ी हिम्मत से क़ाबू में रखा है दिल

बड़ी मुश्क़िल से होश सम्भाले हैं

आ आ आ

बड़ी मुश्क़िल से होश सम्भाले हैं

दिल आने के

हो दिल आने के ढंग निराले हैं