ढलती जाए रात, कह ले दिल की बात - The Indic Lyrics Database

ढलती जाए रात, कह ले दिल की बात

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा - रफी | संगीत - लच्छीराम | फ़िल्म - रजिया सुल्तान | वर्ष - 1961

View in Roman

ढलती जाए रात, कह ले दिल की बात
शम्मा परवाने का न होगा फिर साथ
मस्त नज़ारें, चाँद सितारें, रात के मेहमाँ हैं ये सारे
उठ जाएगी शब की महफ़िल, नूर-ए-सहर के सुन के नक्कारे
हो ना हो दुबारा मुलाकात
नींद के बस में खोई खोई, कुल दुनिया है सोयी सोयी
ऐसे में भी जाग रहा है, हम तुम जैसा कोई कोई
क्या हसीं है तारों की बारात
जो भी निगाहें चार है करता, उस पे जमाना वार है करता
राह-ए-वफ़ा का बन के राही, फिर भी तुम्हें दिल प्यार है करता
बैठा ना हो ले के कोई घात