ज़रा ठहरो जी अब्दुल गफ़्फ़ार - The Indic Lyrics Database

ज़रा ठहरो जी अब्दुल गफ़्फ़ार

गीतकार - हसरत | गायक - रफ़ी, सुमन | संगीत - कल्याणजी-आनंदजी | फ़िल्म - सट्टा बाजार | वर्ष - 1959

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ज़रा ठहरो जी अब्दुल गफ़्फ़ार
रुमाल मेरा ले के जाना
ओ गोरी हमको भी तुमसे है प्यार
रुमाल हमें दे के जाना
तेरे चाहने वाले हैं हज़ार
रुमाल हमें दे के जाना
रेशम के टुकड़े पे दुनिया दीवानी
इस पर लिखी है दिलों की कहानी
पागल है तुम पर ये बदनाम जानी
माँगे मोहब्बत की तुमसे निशानी
कुछ दिन करो इंतज़ार
रुमाल मेरा ले के ...
उल्फ़त के चक्कर में हम फँस रहा है
रोता नहीं देख हम हँस रहा है
बीमार-ए-उल्फ़त हूँ दिल खो गया है
अपने को जाने ये क्या हो गया है
तुम्हें आता है ठंडा बुखार
रुमाल मेरा ले के ...
दर्द-ए-मोहब्बत की इसमें दवा है
जिसको सुँघा दूँ वो अन्धा हुआ है
घबरा ना बुलबुल हम आए छुड़ाने
दुनिया के पिंजरे से तुझको उड़ाने
सुन लो ये दिल की पुकार
रुमाल मेरा ले के ...$