सर ए महफिल जो जला परवाना - The Indic Lyrics Database

सर ए महफिल जो जला परवाना

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सुरैया | संगीत - हुस्नलाल-भगतराम | फ़िल्म - शमा परवाना | वर्ष - 1954

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र : सर-ए-महफ़िल जो जला परवाना -२
कर गया नाम-ए-वफ़ा परवाना -२
सु : शम्मा से सीखे वफ़ा परवाना -२
ये जली है तो जला परवाना -२र : मर के भी रह न सका शम्मा से दूर -२
ख़ाक़ बन-बन के उड़ा परवाना -२
सु : रात भर शम्मा खड़ी जलती रही -२
इस तरह जल न सका परवाना -२र : जान दे दी वहीं कुछ देर न की -२
शम्मा से पहले जला परवाना -२
सु : शम्मा की आग में जलने आया -२
ख़ुद न क्यूँ ख़ाक़ हुआ परवाना -३र : अपनी लौ में तो सभी जलते हैं -२
शम्मा की लौ में जला परवाना -३
कर गया नाम-ए-वफ़ा परवाना -२