जिन रातों में नींद उड़ जाती है - The Indic Lyrics Database

जिन रातों में नींद उड़ जाती है

गीतकार - Nil | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - Nil | फ़िल्म - रात की रानी | वर्ष - 1949

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जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या कहर की रातें होती हैं
दरवाजों से टकरा जाते हैं दीवारों से बातें होती हैं
घिरघिर के जो बदल आते हैं और बिन बरसे खुल जाते हैं
आशाओं की झूठी दुनिया में सूखी बरसातें होती हैं
जब वो नहीं होते पहलू में और लम्बी रातें होती है
याद आके सताती रहती है और दिलसे बातें होती हैं
हँसने में जो आँसू आते हैं, दो तस्वीरें दिखलाते हैं
हर रोज जनाजे उठते हैं, हर रोज बारातें होती हैं
हिम्मत किसकी है जो पुछ सके ये आरज़ू-ए-सौदाई से
क्यूँ साहिब आखिर अकेले में ये किससे बातें होती हैं