सितारे डूब चले मोहब्बत की बस इतनी दास्तान - The Indic Lyrics Database

सितारे डूब चले मोहब्बत की बस इतनी दास्तान

गीतकार - खुमार बाराबंकवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - नशद | फ़िल्म - बारादरी | वर्ष - 1955

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ल : सितारे डूब चले रात ढलने वाली है
चले भी आओ कि दुनिया बदलने वाली है
र : तुम्हें क़सम है न करना मेरी जुदाई का ग़म
हवाएं लाख चलें शमा जलने वाली हैल : मोहब्बत की बस इतनी दास्तां है -२
बहारें बहारें चार दिन की फिर ख़िज़ां है
मोहब्बत की बस ...
र : मोहब्बत की बस ...ल : उजाले को तरसती हैं निग़ाहें
बड़ी वीरान हैं उल्फ़त की राहें
कहाँ है कहाँ है चाँद मेरे तू कहाँ है
मोहब्बत की बस ...र : मज़ाअ मिलने का आता है बिछड़ के
मुहब्बत रंग लाती है उजड़ के
जुदाई जुदाई दो दिलों का इम्तहाँ है
ल : मोहब्बत की बस ...