साँझ की बेला - The Indic Lyrics Database

साँझ की बेला

गीतकार - भरत व्यास | गायक - उमा देवी, मोती | संगीत - NA | फ़िल्म - चंद्रलेखा | वर्ष - 1948

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साक़ी साक़ी दिल बुझ ही गया है सीने में

साक़ी साक़ी

दिल बुझ ही गया है सीने में

कुछ लुत्फ़ नहीं अब जीने में

साक़ी साक़ी

साक़ी तेरे जाम वो जाम नहीं

क्या रखा है अब पीने में

साक़ी साक़ी

साक़ी पहली सी बात नहीं

पहले दिन पहली रात नहीं

जब तेरा ही वो हाथ नहीं

क्या रखा है फिर सीने में

साक़ी साक़ी

अब सावन के दिन बीत गये

हम हार गये तुम जीत गये

साक़ी जब छोड़ के मीत गये

कुछ लुत्फ़ नहीं फिर जीने में

साक़ी साक़ी

दिल बुझ ही गया है सीने में

कुछ लुत्फ़ नहीं अब जीने में

साक़ी साक़ी