अब तो गबरा के ये चाहे जिंदगी से कितना भी भाग रे - The Indic Lyrics Database

अब तो गबरा के ये चाहे जिंदगी से कितना भी भाग रे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मन्ना दे | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शारदा | वर्ष - 1957

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अब तो घबरा के ये कहते हैं के मर जायेंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगेचाहे ज़िन्दगी से कितना भी भाग रे -२
तेरे दिल की बुझेगी ना आग रे -२
चाहे ज़िन्दगी से कितना भी भाग रे -२मत सोच के तू बेआराम है
ये ग़म भी ख़ुशी का एक नाम है
मत सोच के तू बेआराम है
यही दर्द है करार, यही दाग़ है सिंगार -२
ज़रा हँसना तू खोल ज़रा जाग रे -२
तेरे दिल की बुझेगी ना आग रे -२
चाहे ज़िन्दगी से कितना भी भाग रे -२तेरी जुस्तजू तो ख़ाब की है दास्ताँ
तू ही रास्ता है आज तू ही कारवाँ
तेरी जुस्तजू तो ख़ाब की है दास्ताँ
ये तलाश है ख़याल एक वहम का है जाल
झूठे सपनों के पीछे ना भाग रे
तेरे दिल की बुझेगी ना आग रे -२
चाहे ज़िन्दगी से कितना भी भाग रे