साज़-ए-दिल छेड़ दे, क्या हसीं रात है - The Indic Lyrics Database

साज़-ए-दिल छेड़ दे, क्या हसीं रात है

गीतकार - Nil | गायक - लता मंगेशकर - मोहम्मद रफी | संगीत - कल्याणजी - आनंदजी | फ़िल्म - पासपोर्ट | वर्ष - 1961

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साज़-ए-दिल छेड़ दे, क्या हसीं रात है
कुछ नहीं चाहिये, तू अगर साथ है
मुझे चाँद क्यों तकता है, मेरा कौन ये लगता है
मुझे शक यहीं होता है, मेरे चाँद से जलता है
हमें इसकी क्या पर्वा है
तेरे दर पे सर झुक जाए, यहीं ज़िन्दगी रुक जाए
कली दिलकी ये खिल जाए, ख़ुशी प्यारकी मिल जाए
कभी फिर ग़म ही न आए