गीतकार - समीर | गायक - कुमार शानू, अनुराधा पौडवाल | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - दिल है की मानता नहीं | वर्ष - 1991
View in Romanअदाएं भी हैं मुहब्बत भी है
शराफ़त भी है मेरे महबूब में
वो दीवानापन वो ज़ालिम अदा
शराफ़त भी है ...वो दीवानापन वो मासूमियत
शरारत भी है ...न पूछो मेरा दिल कहां खो गया
तुझे देखते ही तेरा हो गया
आँखों में तू है मेरे ख़्वाबों में तू है
यादों के महके गुलाबों में तू है
वो सहमी नज़र वो कमसिन नज़र
चाहत भी है मेरे महबूब मेंसाँसों की बहकी लहर रुक गई
मुझे शर्म आई नज़र झुक गई
कि हम उनके कितने करीब आ गए
थे सोच के हम तो घबरा गए
वो बाँकपन वो दीवानगी
इनायत भी है मेरे महबूब में
वो दीवानापन वो ज़ालिम अदा ...मुहब्बत की दुनिया बसाने चला
मैं तेरे लिए सब भुलाने चला
ख़ुश्बू कोई उसकी बातों में है
हर फ़ैसला उसके हाथों में है
वो महका बदन वो शर्मिलापन
नज़ाकत भी है मेरे महबूब में
वो दीवानापन वो ज़ालिम अदा ...