फ़िर फ़साले नई मंज़िलापे आई - The Indic Lyrics Database

फ़िर फ़साले नई मंज़िलापे आई

गीतकार - | गायक - अख्तरी बाई | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - रोटी | वर्ष - 1942

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the following two lines should be the prelude
फिर फसले(sic)बहार आई दिले दीवाना
फिर जोशे मरसरतमें एक नारए मस्ताना |नई मंज़िलपे आई जवानी मेरी
क्यूं न हो जाये दिलकश कहानी मेरी |भोली कलियां चमनको सजाने लगीं
रंगताजा बहारे दीखाने (sic)लगी (sic)|
ले मुबारक तुझे शादमानी मेरी-नई मंज़िलपे ...ज़िंदगीके तराने सुनाता चले
आज दिल हर कदम गीत गाता चले
आके बुलबुल करे हम ज़बानी मेरी-नई मंज़िलपे ...