अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की - The Indic Lyrics Database

अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - आरती | वर्ष - 1962

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अब क्या मिसाल दूँ, मैं तुम्हारे शबाब की
इन्सान बन गई है किरण माहताब की
चेहरे में घुल गया है हसीं चाँदनी का नूर
आँखों में है चमन की जवां रात का सुरूर
गर्दन है एक झुकी हुई डाली गुलाब की
गेंसू खुले तो शाम के दिल से धुआँ उठे
छू ले कदम तो झुक के न फिर आसमान उठे
सौ बार झिलमिलाये शमा आफताब की
दीवार-ओ-दर का रंग ये आँचल ये पैरहन
घर का मेरे चिराग है, बूटा सा ये बदन
तस्वीर हो तुम ही मेरे जन्नत के ख्वाब की