पीपल की छनव कथा मैं भी मिलुं तुउ भी मील - The Indic Lyrics Database

पीपल की छनव कथा मैं भी मिलुं तुउ भी मील

गीतकार - पं. बी सी माधुरी | गायक - जोहराबाई अंबलेवाली, अमर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - सन्यासी | वर्ष - 1945

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ज़ो : पीपल की छँव तले मैं भी मिलूँ तू भी मिले
आँखें हों चार
मैं हूँ तू हो और कोई न हो
मंज़ूर तुम्हें?
अ : मंज़ूर!फूलों को तोड़ तोड़, पलकोँ में जोड़ जोड़
पहनाऊँ हार
मैं हूँ तू हो और कोई न हो
मंज़ूर तुम्हें?
ज़ो : मंज़ूर!प्रीत लगा के हमें न भुलाना
नैनों से ना तू नैन चुराना
आना आके फिर न जान
चाँद छुपे तू न छुपे
दीप बुझे तू न बुझे
तन मन दूँ वार मैं हूँ तू हो और कोई न हो
मंज़ूर तुम्हें?
अ : मंज़ूर!दो : पीपल की छँव तले ...अ: झूल रहा है लहरों का बिछोना
सोये मेरा चाँद सलोना
सपनों का आके जगाना
मैं भी हँसूँ तू भी हँसे
जीवन के तार बजे जीवन के तार
मैं हूँ तू हो और कोई न हो
मंज़ूर तुम्हें?
अ : मंज़ूर!