न हँसो हम पे ज़माने के हैं ठुकराए हुए - The Indic Lyrics Database

न हँसो हम पे ज़माने के हैं ठुकराए हुए

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - गेटवे ऑफ इंडिया | वर्ष - 1957

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न हँसो हम पे ज़माने के हैं ठुकराए हुए
दर-ब-दर फिरते हैं तक़दीर के बहकाए हुए
न हँसो हम पे
क्या बताएँ तुम्हें कल हम भी चमन वाले थे
ये न पूछो कि है वीराने में क्यों आए हुए
न हँसो हम पे
बात कल की है कि फूलों कोमसल देते थे
आज काँटों को भी सीने से हैं लिपटाए हुए
न हँसो हम पे
ऐसी गर्दिश में न डाले कभी क़िस्मत तुम को
आप के सामने जिस हाल में हैं आए हुए
न हँसो हम पे
एक दिन फिर वही पहली सी बहारें होंगी
इस उम्मीद पे हम दिल को हैं बहलाए हुए
न हँसो हम पे