कभी चांद की तराह तपकी अत्थन्नी एसआईआई जिंदगी - The Indic Lyrics Database

कभी चांद की तराह तपकी अत्थन्नी एसआईआई जिंदगी

गीतकार - गुलजार | गायक - हरिहरन | संगीत - विशाल | फ़िल्म - जहां तुम ले चलो | वर्ष - 1998

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कभी चाँद की तरह टपकी, कभी राह में पड़ी पाई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी
कभी चींक की तरह खनकी, कभी जेब से निकल आई
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगीकभी चेहरे पे जड़ी देखी, कहीं मोड़ पे खड़ी देखी
शीशे के मरतबानों में, दुकान पे पड़ी देखी
चौकन्नी सी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी ...तमगे लगाके मिलते है, मासूमियत सी खिलती है
कभी फूल हाथ में लेकर, शाख़ों पे बैठी हिलती है
अट्ठन्नीसी ज़िंदगी, ये ज़िंदगी ...