चली-चली रे पतंग मेरी चली रे - The Indic Lyrics Database

चली-चली रे पतंग मेरी चली रे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - भाभी | वर्ष - 1957

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चली-चली रे पतंग मेरी चली रे-2
चली बादलों के पार हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख-देख जली रे
चली-चली रे पतंग ...

यूँ मस्त हवा में लहराए जैसे उड़न खटोला उड़ा जाए-2
ले के मन में लगन जैसे कोई दुल्हन-2
चली जाए साँवरिया की गली रे
चली-चली रे पतंग ...

रंग मेरी पतंग का धानी है ये नील गगन की रानी-2
बाँकी बाँकी है उड़ान है उमर भी जवान
लागे पतली कमर बड़ी भली रे
चली-चली रे पतंग ...

छूना मत देख अकेली है साथ में डोर सहेली-2
है ये बिजली की धार बड़ी तेज़ है कटार
देगी काट के रख दिलजली रे
चली-चली रे पतंग ...$