अब के सावन में जी डरे - The Indic Lyrics Database

अब के सावन में जी डरे

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता - किशोर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - जैसे को तैसा | वर्ष - 1973

View in Roman

अब के सावन में जी डरे
रिमझिम तन पे पानी गिरे
मन में लगे ... आग सी
ऐसा मौसम पहले कभी भी आया नहीं
ऐसा बादल अम्बर पे सजना छाया नहीं
ये सुहाना समा, प्रेम की खोज में मौज में
पागल प्रेमी बन के फिरे ...
आ तुझको आँखों में छुपा लूँ इस रात में
कजरा गजरा बह जाएगा री बरसात में
होश से काम लो, राम का नाम लो, थाम लो
जाने बैरन रुत क्या करें ...