अब के सावन ऐसे बरसे बह जाए रंग, मेरी चुनर से - The Indic Lyrics Database

अब के सावन ऐसे बरसे बह जाए रंग, मेरी चुनर से

गीतकार - प्रसून जोशी | गायक - शुभा मुदगल | संगीत - शांतनु मोइत्रा | फ़िल्म - अब के सावन | वर्ष - 1999

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अब के सावन ऐसे बरसे
बह जाए रंग, मेरी चुनर से
भीगे तन मन, जिया ना तरसे
जम के बरसे जरा
रुत सावन की, घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जम के बरसे
अब के सावन ऐसे बरसे
बह जाए रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन, जिया ना तरसे
जम के बरसे जरा
झड़ी बरखा की, लड़ी बूंदों की,
लड़ी बूंदों की टूट के यूँ बरसे
पहले प्यार की पहली बरखा कैसी आस जगाए
बारिशें पीने दो मुझको, मन हरा हो जाए
प्यासी धरती, प्यासे अरमां, प्यासा है आसमां
भीगने दो हर गली को, भीगने दो जहां
अब के सावन ...
लाज बदरी की बिखर के
मोती बन झर जाए
भीग जाए सजना मेरा
लौट के घर आए
दूरियों का नहीं ये मौसम
आज है वो कहाँ
मखमली सी ये फुहारें उड़ रही है यहाँ
अब के सावन ...