नगरी मेरी कब तक ऐ चंद उम्मीदों को - The Indic Lyrics Database

नगरी मेरी कब तक ऐ चंद उम्मीदों को

गीतकार - जोश मलिहाबादी | गायक - सितारा कानपुरी | संगीत - एस के पाल | फ़िल्म - मन की जीत | वर्ष - 1944

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नगरी मेरी कब तक यूँ ही बरबाद रहेगी
दुनिया ऽ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूँ ही बरबाद रहेगीआकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा
बस्ती में ग़रीबों की अँधेरे का है दुखड़ा
दुनिया ऽ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी ...कब होगा सवेरा
कब होगा सवेरा कोई ऐ काश बता दे
किस वक़्त तक ऐ घूमते आकाश बता दे
इन्सानों पर इन्सान की बेदाद रहेगीकहकारों से कलियों के चमन गूँज रहा है
झरनों के मधुर राग से बन गूँज रहा है
पर मेरा तो, पर मेरा तो
पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूँज रहा है
पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूँज रहा है
कब तक मेरे होंठों पे ये फ़रियाद रहेगी
नगरी मेरी ...ऐ चाँद उम्मीदों को मेरी शम्मा दिखा दे
ऐ चाँद उम्मीदों को मेरी शम्मा दिखा दे
डूबे हुए, खोए हुए, सूरज का पता दे
रोते हुए जुग बीत गया अब तो हँसा दे
ऐ मेरे हिमाला, मुझे ये बात बता दे
ऐ मेरे हिमाला, मुझे ये बात बता दे
होगी मेरी बस्ती भी कभी ख़ैर से आबाद
नगरी मेरी बरबाद है बरबाद है बरबाद
बरबाद है बरबाद
नगरी मेरी ...जो आँख का आँसू है, जो आहों का धुआँ है
जो आँख का आँसू है, जो आहों का धुआँ है
वारी मेरा दिल उस पे, निछावर मेरी जाँ है
मुजरिम हूँ, गुनाहगार हूँ, उस को ये गुमाँ है
आवाज़ दो इन्साफ़ को इन्साफ़ कहाँ है
आवाज़ दो इन्साफ़ को इन्साफ़ कहाँ है
इक बेकस-ओ-मजबूर पे ये ज़ुल्म, ये बेदाद
नगरी मेरी बरबाद है, बरबाद है, बरबाद
बरबाद है, बरबाद
नगरी मेरी ...