तू लाखोन मन है एक सनामी - The Indic Lyrics Database

तू लाखोन मन है एक सनामी

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मुकेश | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - बिरजू उस्ताद | वर्ष - 1964

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तू लाखों में है एक सनम -२
तुझ सी हसीना देखी कभी ना सारे जहाँ में तेरी क़सम हाय तेरी क़सम
तू लाखों में ...क्यूँ घूँघट ने डाले घेरे
क्यूँ बैठे हो नज़रें फेरे
रूठी हो क्यूँ हमसे हसीना ( आओ मनाएँ हम ) -२
तू लाखों में ...याद तुम्हारी पास बुला के
रख लूँ अपने दिल में छुपा के
इसी बहाने जान-ए-तमन्ना ( साथ रहो हरदम ) -२
तू लाखों में ...