अब के सजन सावन में - The Indic Lyrics Database

अब के सजन सावन में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - चुपके चुपके | वर्ष - 1975

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अब के सजन सावन में, आग लगेगी बदन में
घटा बरसेगी, मगर तरसेगी नज़र
मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आँगन में
दो दिलों की बीच खड़ी कितनी दीवारें
कैसे सुनूंगी मैं पिया प्रेम की पुकारें
चोरी चुपके से तुम लाख करो जतन
सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आँगन में
इतने बड़े घर में नहीं एक भी झरोका
किस तरह हम देंगे भला दुनिया को धोखा
रात भर जगाएगी ये मस्त मस्त पवन
सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आँगन में
तेरे मेरे प्यार का ये साल बुरा होगा
जब बहार आएगी तो हाल बुरा होगा
काँटे लगाएगा ये फूलों भरा चमन
सजन मिल ना सकेंगे दो मन एक ही आँगन में