घुंघते मन चंदा है फिर भी है फैला - The Indic Lyrics Database

घुंघते मन चंदा है फिर भी है फैला

गीतकार - इन्दीवर | गायक - कुमार शानू, सहगान | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - कोयला | वर्ष - 1997

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कु: ( घुँघटे में चंदा है फिर भी है फैला
चारों ओर उजाला ) -२
होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला -२

घुँघटे में चंदा है फिर भी है फैला
चारों ओर उजाला
होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला
अरे होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला

( आज सुन्दरता दुल्हन बनी है
कोई क़िस्मत का कितना धनी है ) -२
मुँह दिखलाई की ख़ातिर
दिल क्या जान भी है हाज़िर
को: मुँह-दिखलाई की ख़ातिर
दिल क्या जान भी है हाज़िर
कु: बादलों को मोर देखे, चाँद को चकोर देखे
तुझको नसीबों वालाहोश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला
हे होश न खो दे कहीं जोश में देखने वालाघुँघटे में चंदा है फिर भी है फैला
चारों ओर उजाला
होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला
अरे होश न खो दे कहीं जोश में देखने वालाको: ओ होकु: ( पास तू दूर तक हैं नज़ारे
मिल रहे हैं दिलों को सहारे ) -२
ले के बहारें तू आई
दूर हुई है तनहाई
को: ले के बहारें तू आई
दूर हुई है तनहाई
कु: घर को सँवार देगा
दिल को क़रार देगा
रूप ये तेरा निरालाहोश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला
हे होश न खो दे कहीं जोश में देखने वालाघुँघटे में चंदा है फिर भी है फैला
चारों ओर उजाला
होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला
अरे होश न खो दे कहीं जोश में देखने वालाको: होश न खो दे कहीं जोश में देखने वाला -२