क्या मिल गया हाय क्या खो गया - The Indic Lyrics Database

क्या मिल गया हाय क्या खो गया

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - ससुराल | वर्ष - 1961

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ल : ( क्या मिल गया हाय क्या खो गया
मुझे मेरे बालम ये क्या हो गया
र : हम खो गए हाय तुम खो गए
मुहब्बत की राहों में दिल खो गया ) -२ल : ये ख़ुशियों के प्याले छलकते रहेंगे
हवाओं के आँचल महकते चलेंगे
र : अरे नए रास्ते ख़ुद-ब-ख़ुद खुलते चलेंगे
जिधर से हम-तुम बहकते चलेंगे हो बहकते चलेंगे
ल : क्या मिल गया ...
र : हम खो गए ...र : जहाँ से सफ़र ये शुरू हो रहा है
नए इक ज़माने की वो इस्तिदा है
ल : कहीं हमको भी तुम भुला तो न दोगे
धड़कता हुआ दिल मेरा पूछता है हो दिल मेरा पूछता है
र : हम खो गए ...
ल : क्या मिल गया ...ल : हर एक बात गीतों में ढलने लगी है
हर एक आरज़ू फिर मचलने लगी है
र : हो तुम अपनी इन आँखों का जादू तो देखो
कि दुनिया ही मेरी बदलने लगी है ओ बदलने लगी है
ल : क्या मिल गया ...
र : हम खो गए ...