आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई - The Indic Lyrics Database

आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई

गीतकार - शकील | गायक - लता, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आन | वर्ष - 1952

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आ हा हा...
आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई
आज मेरे मन में...
आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए कोई
प्यार भरे गीत सखी बार-बार गाए कोई
बाँसुरी बजाए...
बाँसुरी बजाए, सखी गाए सखी रे, कोई छैलवा हो
कोकोई अलबेलवा हो, कोई छैलवा हो
ल: रँग मेरी जवानी का किए झूमता घर आया है सावन
कोरँग मेरी जवानी का किए झूमता घर आया है सावन
ल: आ हा हा...
हो सखी, हो रे सखी, आया है सावन
कोमेरे नैनों में है साजन

ल: इन ऊँदी घटाओं में, हवाओं में सखी, नाचे मेरा मन
हो सखी, नाचे मेरा मन
कोहो आँगन में सावन मन-भावन हो जी
ल: हो, इन ऊँदी घटाओं में, हवाओं में सखी, नाचे मेरा मन
कोलल्ला लाला ला लाला
ल: दिल के हिंडोले पे मोहे झूले न झुलाए कोई
कोप्यार भरे गीत सखी, बार-बार गाए कोई
ल: बाँसुरी बजाए सखी गाए सखी रे
कोई छैलवा हो
कोकोई अलबेलवा हो, कोई छैलवा हो

ल: कहता है इशारों में कोई
आ मोहे अम्बुआ के तले मिल
कोभला वो कौन है घायल
कहता है इशारों में कोई
आ मोहे अम्बुआ के तले मिल
ल: मैं नाम न लूँ
आज लगे लाज सखी धड़के मेरा दिल हो सखी धड़के मेरा दिल
कोहो आँगन में सावन मन-भावन हो जी
ल: हो, मैं नाम न लूँ
आज लगे लाज सखी धड़के मेरा दिल हो सखी धड़के मेरा दिल
कोलल्ला लाला ला लाला
ल: तार पे जीवन के मधुर रागिनी सुनाए कोई
कोप्यार भरे गीत सखी बार-बार गाए कोई
ल: बाँसुरी बजाए सखी गाए सखी रे
ल: कोई छैलवा हो
कोकोई अलबेलवा हो, कोई छैलवा हो$