अब छलाकाते हुए सागर नहीं देखे जाते - The Indic Lyrics Database

अब छलाकाते हुए सागर नहीं देखे जाते

गीतकार - अली अहमद जलील | गायक - बेगम अख्तर | संगीत - | फ़िल्म - अपनी सर्वश्रेष्ठ बेगम अख्तर (गैर-फिल्म) में | वर्ष - 1985

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अब छलकते हुए सागर नहीं देखे जाते
तौबा के बाद ये मंज़र नहीं देखे जातेमस्त कर के मुझे, औरों को लगा मुंह साक़ी
ये करम होश में रह कर नहीं देखे जातेसाथ हर एक को इस राह में चलना होगा
इश्क़ में रहज़ान-ओ-रहबार नहीं देखे जातेहम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन
उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते