पूरब से इक प्यारा झोंका वतन के फसाने - The Indic Lyrics Database

पूरब से इक प्यारा झोंका वतन के फसाने

गीतकार - आजाद जालंधरी | गायक - मोहम्मद अजीज, सुरेश वाडकर, मुकुल अग्रवाल | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - वापासी साजन किस | वर्ष - 1995

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पूरब से इक प्यारा झोंका पवन उड़ाकर लाई
आज अचानक दिलबर आया याद वतन की आईवतन के फ़साने वतन की कहानी
सताने लगी हैं वो यादें पुरानी
वतन के फ़साने ...मेरा एक नन्हा सा बेटा था प्यारा
कभी उसको देखा नहीं फिर दुबारा
किसी हादसे में वो गुम हो गया था
अचानक कहीं भीड़ में खो गया था
लिए घूमता हूँ मैं उसकी निशानी
वतन के फ़साने ...तड़पती रही मेरी बीवी बेचारी
कई साल करती रही इंतज़ार
वतन छोड़कर ऐसा परदेस आया
बहुत देर उसको ना मैं देख पाया
बदल गई बुढ़ापे में उसकी जवानी
वतन के फ़साने ...मैं रोती हुई अपनी माँ छोड़ आया
मैं ममता भरा उसका दिल तोड़ आया
ना परदेश जा तू मुझे टोकती थी
वो रो रो के रस्ता मेरा रोकती थी
मगर एक भी उसकी मैने ना मानी
वतन के फ़साने ...