है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आएगा - The Indic Lyrics Database

है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आएगा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - सोलवाँ साल | वर्ष - 1958

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है अपना दिल तो आवारा, न जाने किसपे आएगा
हसीनों ने बुलाया, गले से भी लगाया
बहुत समझाया, यही ना समझा
बहुत भोला है बेचारा, न जाने किस पे आएगा
अजब है दीवाना, ना दर ना ठिकाना
ज़मीं से बेगाना, फलक से जुदा
ये एक टूटा हुआ तारा, न जाने किस पे आएगा
ज़माना देखा सारा, है सबका सहारा
ये दिल ही हमारा हुआ न किसी का
सफ़र में है ये बंजारा, न जाने किस पे आएगा
हुआ जो कभी राजी, तो मिला नहीं काजी
जहाँ पे लगी बाज़ी, वहीं पे हारा
ज़माने भर का नाकारा, न जाने किस पे आएगा
(है अपना दिल तो आवारा
न जाने किस पे आएगा
रुकेगा ना रुका है, न जाने धुन क्या है
कभी ये रस्ता है, कभी वो रस्ता
फिरे है दर-ब-दर मारा
किसी से ये मिला था बताए कोई क्या था
बेदारी का समा था की था वो सपना
खुद अपने दर्द से हारा )